हरिद्वार, संतों की भूमि, एक रहस्यमय और खतरनाक जगह बन गई है। यहाँ, आस्था और आध्यात्मिकता की आड़ में, संतों की हत्याओं का एक सिलसिला चल रहा है, जो न केवल पुलिस और प्रशासन को हिला रहा है, बल्कि आम जनता को भी भयभीत कर रहा है।
साल 2004 से शुरू हुआ खूनी सिलसिला
यह खूनी सिलसिला 28 दिसंबर, 2004 को शुरू हुआ, जब संत योगानंद की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारों का आज तक कोई पता नहीं चला। इसके बाद, 15 मई, 2006 को, पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या कर दी गई, और उनकी संपत्ति पर सरकार ने कब्जा कर लिया। 25 नवंबर, 2006 को, इंडिया टेम्पल के बाल स्वामी को गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसमें तीन लोग गिरफ्तार हुए।
साधुओं को दिया गया जहर
8 फरवरी, 2008 को, निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को जहर दिया गया था। हालांकि, सभी की जान बच गई, लेकिन आज तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया। 14 अप्रैल, 2012 को, निर्वाणी अखाड़े के महंत सुधीर गिरि की हत्या कर दी गई, जिसमें स्थानीय भू माफिया गिरफ्तार हुए, जो अब जेल से बाहर हैं।
तिहरा हत्याकांड
26 जून, 2012 को, हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर के अंदर देर रात तीन संतों की हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले को भी संपत्ति विवाद बताया, और दो लोग गिरफ्तार हुए। साल 2018 में, पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के कोठारी महंत मोहन दास गायब हो गए, जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल पाया है। पुलिस आज तक उनकी तलाश कर रही है।
ताजा मामला
अक्टूबर 2024 में, कनखल के श्रद्धा भक्ति आश्रम के संत की कुछ लोगों ने पहले नजदीकियां बढ़ाईं और उसके बाद उनकी हत्या कर दी। पुलिस की जांच में हत्या की वजह करोड़ों रुपये की संपत्ति बताई गई। पुलिस को 17 अक्टूबर को महंत के लापता होने की सूचना मिली थी। जांच के बाद, हत्या का खुलासा हुआ। पुलिस ने इस मामले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के कई लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस की जांच और चुनौतियाँ
पुलिस इन सभी मामलों की जांच कर रही है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई मामलों में, आरोपी फरार हैं, और सबूतों की कमी के कारण, पुलिस को उन्हें पकड़ने में मुश्किल हो रही है। इसके अलावा, कुछ मामलों में, संपत्ति विवाद हत्या का कारण बना है, जिससे मामलों को सुलझाना और भी मुश्किल हो जाता है।
संतों की सुरक्षा का मुद्दा
इन हत्याओं ने हरिद्वार में संतों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाया है। कई संत और धार्मिक संगठन सरकार से संतों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि पुलिस और प्रशासन संतों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करें, और इन हत्याओं के दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए।
एक रहस्यमय और खतरनाक जगह
हरिद्वार, जो कभी संतों की भूमि के रूप में जाना जाता था, अब एक रहस्यमय और खतरनाक जगह बन गई है। यहाँ, आस्था और आध्यात्मिकता की आड़ में, संतों की हत्याओं का सिलसिला जारी है, जो न केवल पुलिस और प्रशासन को हिला रहा है, बल्कि आम जनता को भी भयभीत कर रहा है।