कुमाऊं मंडल की धरती से भी चलती है भगवान बद्री विशाल की डोली

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गंगोलीहाट के कनारा गूथ गाँव में भगवान बद्रीनाथ जी का प्राचीन मंदिर स्थित है, जो माँ कनारा देवी के सानिध्य में आध्यात्मिक महत्व रखता है। मान्यता है कि नेपाल के राजा की प्रेरणा से कुमाऊँ के राजा ने यह भूमि बद्रीनाथ जी को दान में दी थी और यहाँ भण्डारी परिवार को बसाया गया, जो उपज का पहला भोग (नैनाक) भगवान को अर्पित करते हैं। यह परम्परा आज भी जारी है।
कनारा देवी को भगवान बद्रीनाथ की बहन माना जाता है और प्रत्येक वर्ष चैत्र की पहली नवरात्र को भगवान बद्रीनाथ अपनी बहन को भिटौली देने जाते हैं। यहाँ माँ कनारा देवी परम कल्याणिका देवी के रूप में पूजी जाती हैं। यह गाँव वीर चक्र विजेता स्वर्गीय श्री शेर सिंह भंडारी की जन्मभूमि भी है, जिन्होंने हाट काली मंदिर में पहली मूर्ति स्थापित करवाई थी।
कुमाऊँ में बद्रीनाथ जी का एक और प्राचीन मंदिर सोमेश्वर क्षेत्र में भी है, जिसकी मूर्ति को विश्वकर्मा जी द्वारा निर्मित माना जाता है। गंगोलीहाट के कनारा गूंथ का बद्रीनाथ मंदिर भी मुख्य बद्रीनाथ धाम के समान पूजनीय है।
हर साल चैत्र माह की पहली नवरात्र को भगवान बद्रीनाथ की डोली अपनी बहन माँ कनारा देवी से मिलने निकलती है। गंगोलीहाट से कनारा गूंथ की दूरी दस किलोमीटर है और जरमालगांव से यहाँ के लिए वीर चक्र विजेता श्री शेर सिंह भंडारी सड़क बनी है। इस अवसर पर गंगोलीहाट और आसपास के अनेक गांवों से भक्तजन दर्शन और आराधना के लिए आते हैं। देवी कनारा धाम और बद्रीनाथ धाम के बीच लगभग 3 किलोमीटर की परिक्रमा है। (रमाकांत पंत)










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