संतों के श्रीमुख से निकला एक-एक शब्द समाज उत्थान का मंत्र बनता है

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हरिद्वार; श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा है कि संतों के सानिध्य में सद्बुद्धि का संचार होता है,जिससे समाज में समरसता का वातावरण बनता है और सर्वे भवंतु सुखिनः की परिकल्पना साकार होती है। वे रविवार को श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमान मंदिर सत्संग हॉल में गुरुपूजा महोत्सव के उपलक्ष्य में विश्व कल्याण हेतु आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के अवसर पर श्रद्धालुओं को धर्म के सापेक्ष आचरण करने की ज्ञान दीक्षा दे रहे थे। श्रीमद्भागवत को भवसागर की वैतरिणी बताते हुए उन्होंने कहा कि सत्संग का उद्देश्य समाज का कल्याण होता है और संतों के श्रीमुख से निकला एक-एक शब्द समाज उत्थान का मंत्र बनता है। सृष्टि में हुए 24 अवतारों की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब धर्म की हानि होती है और असुर तथा अभिमानियों की संख्या बढ़ती है तो भगवान यथायोग्य स्वरूप में अवतरित होकर लोक का कल्याण करते हैं। समाज को जिस रूप में भगवान की आवश्यकता होती है वे उसी रूप में अवतरित होते हैं,इसीलिए भगवान के अवतारों में दो जलचर,दो वनचर ,चार ब्राह्मण और दो क्षत्रिय अवतारी हुए हैं,शेष अंशावतार हैं। समयकाल और स्थितियों के अनुकूल त्रेता और द्वापर युग में भगवान ने क्षत्रियकुल राजपरिवार तथा मानव रूप में अवतरित होकर सृष्टि का कल्याण किया,इसीलिए इन दो अवतारों के मंदिर हैं और उनकी पूजा आचरण और चरित्र के आधार पर होती है। वर्तमान समय में समाज में फैल रही सामाजिक विसंगतियों को रोकने का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में स्वार्थ की भावना इतनी बढ़ गई है कि अधिक लाभ अर्जित करने की चाहत ने अनाज,फल और सब्जी ही नहीं बल्कि जहरीला चारा खाने से गोदुग्ध की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है,परिणाम स्वरुप 70ःआवादी औषधियों पर आधारित जीवन व्यतीत कर रही है। सभी भक्तों को खान-पान और रहन-सहन में सुधार करने की हिदायत देते हुए कहा कि मानव तन प्रकृति की अनमोल धरोहर है, इसको स्वस्थ और चिरायु बनाने के लिए हमें स्वयं प्रयास करने होंगे। इससे पूर्व कथा के मुख्य यजमान ने सभी श्रोताओं के साथ व्यासपीठ का पूजन कर व्यासपीठ पर आसीन किया। श्रीमद् भागवत की अमृत वर्षा प्रतिदिन सायंकाल 4 से 7ः00 बजे तक अविरल रहेगी जिसमें अन्य संतों के आशीर्वचनों से लाभान्वित होने का श्रद्धालुओं को सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा।

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