गैर हिंदुओं को किसी भी प्रकार के स्टॉल,दुकान,ढाबे की स्टॉल लगाने की अनुमति न दी जाए -श्रीमहंत रविंद्र पुरी

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हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्रीमनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष,श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने एक बयान में कहा है कि गैर हिंदू तत्व कहीं थूककर,कहीं मूत्र करके सनातन संस्कृति को भ्रष्ट करने की चेष्टा कर रहे हैं। उनके अनुसार,ऐसे कृत्य न केवल धार्मिक आस्थाओं का अपमान हैं,बल्कि सनातन संस्कृति और परंपराओं की पवित्रता को चुनौती भी देते हैं।श्री महंत ने विशेष रूप से प्रयागराज कुंभ मेले के आयोजन को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मांग की है कि इस महापर्व के दौरान गैर हिंदुओं को किसी भी प्रकार के स्टॉल,दुकान,ढाबे,या चाय की स्टॉल लगाने की अनुमति न दी जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि किसी भी तरह की खानपान की सेवाएं गैर हिंदू लोगों को न सौंपी जाएं। उनका मानना है कि ऐसा करने से मेला स्थल की धार्मिक पवित्रता और सनातन परंपराओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। हालांकि,श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई गैर हिंदू सनातन संस्कृति और उसकी परंपराओं का सम्मान करता है, तो उसका स्वागत खुले दिल से किया जाएगा। उन्होंने कहा,अगर कोई गैर हिंदू हमारी सभ्यता, परंपरा और पूजा पद्धतियों को देखने आता है और हमारी पवित्रता व शुद्धता का आदर करता है, तो हम उसका स्वागत करते हैं। हमें खुशी होगी कि वह हमारी संस्कृति से प्रभावित होकर इसे समझने और अपनाने का प्रयास करे। श्रीमहंत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक सुरक्षा पर गहन चर्चा चल रही है। कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आयोजन है,जिसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत हिस्सा लेते हैं। इस मेले का उद्देश्य धार्मिक साधना,पूजा और स्नान के माध्यम से आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करना है। ऐसे में मेले की पवित्रता बनाए रखना आयोजकों के लिए प्राथमिकता बन जाती है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी का यह बयान धार्मिक समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है कि सनातन धर्म की पवित्रता और शुद्धता को बनाए रखना आवश्यक है। ध्यान देने वाली बात यह है कि कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है,बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विरासत की झलक प्रस्तुत करता है। ऐसे में श्री महंत का यह बयान यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि मेला स्थल पर किसी भी प्रकार की धार्मिक असंवेदनशीलता या अपमानजनक आचरण न हो। श्री महंत ने कहा कि सनातन धर्म की पवित्रता और शुद्धता को बनाए रखना सभी का कर्तव्य है,चाहे वह साधु-संत हो या आम श्रद्धालु।

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