भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं भगवान श्रीकृष्ण-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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हरिद्वार। कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छइें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गोपीकाओं एवं भगवान श्री कृष्ण के मिलन की लीला महारास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि सतयुग, त्रेतायुग,द्वापरयुग एवं कलयुग प्रत्येक युग में भगवान के भक्त भगवान को पाने के लिए भगवान का भजन पूजन करते हैं। भगवान सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए गोलोक धाम से वृंदावन धाम को इस पृथ्वी पर भेज कर स्वयं कृष्ण बनकर आते हैं और जितने भी भक्त हैं सब गोपी बनकर वृंदावन धाम में आ जाते हैं। वेदों पुराणों के श्लोक भी गोपी बनकर वृंदावन पहुंच जाते हैं और भगवान ने सभी का मनोरथ पूर्ण करने के लिए शरद कालीन पूर्णिमा की रात्रि का निर्माण किया है। रात्रि को दिव्य बनाने के लिए योग माया ने सुंदर-सुंदर पुष्पों कि सुगंधी से वृंदावन को सुगंधित कर दिया। दिव्य रात्रि में भगवान ने सुंदर वंशिका वादन किया। जिस भी गोपी को भगवान की बंसी की धुन सुनाई दी वह श्री कृष्ण से मिलने के लिए वृंदावन पहुंच गई और बंसी की धुन पर नृत्य करने लगी,देखते ही देखते श्री कृष्ण अदृश्य हो गए। गोपिकाएं पूरे वृंदावन में कृष्ण को ढूंढने लगी। जब कृष्ण का दर्शन नहीं हो पाया तब गोपीकाओं ने मिलकर यमुना के तट पर सुंदर गोपी गीत गाया। गोपी गीत सुनकर भगवान प्रसन्न हुए और गोपीकाओं को दर्शन दिए। शास्त्री ने बताया कि संपूर्ण श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का श्री विग्रह है और रास पंचाध्याई भगवान के प्राण हैं तथा गोपी गीत भगवान की आत्मा है। जो भी श्रद्वालु सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ नित्य गोपी गीत का पाठ करता है। भगवान श्रीकृष्ण उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस अवसर पर पंडित उमाशंकर पांडे,पंडित हरीश चंद्र भट्ट,पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री,पंडित रमेश गोनियाल,पंडित राजेन्द्र पोखरियाल,पंडित निराज कोठारी,पंडित कैलाश चंद्र पोखरियाल,पंडित बचीराम मंडवाल,केशवानंद भट्ट,अजय शर्मा, मोहित शर्मा,शिवम प्रजापति, राहुल धीमान,सागर धवन,पंडित गणेश कोठारी,पवन तनेजा, रिचा शर्मा,किरण देवी,अनसुल धवन,बबली शर्मा,गीता चौहान आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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